Hindi Bhasha Kya hai, Paribhasha, Uske Prakar | Hindi Vyakaran | भाषा क्या है, परिभाषा, उसके प्रकार व विशेषताएँ, हिन्दी व्याकरण



विश्व में हज़ारों भाषाएँ प्रचलित हैं, और इनमें हिन्दी एक प्रमुख और महत्वपूर्ण भाषा है। हिन्दी विकसित और समृद्ध भाषाओं की श्रेणी में प्रमुखता से शामिल है। भारत में कोई एक राष्ट्रभाषा नहीं है, लेकिन सरकारी कार्यों के लिए हिन्दी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। यह दर्जा 14 सितंबर 1949 को दिया गया था, और तब से हर साल इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

'भाषा' शब्द संस्कृत के 'भाष' धातु से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ है - व्यक्त करना या कहना। संस्कृत में व्यक्त की गई वाणी को भाषा कहा जाता है। इस अर्थ के अनुसार, भाषा वह माध्यम है जिसके जरिए व्यक्ति अपने मनोभाव और विचार व्यक्त करता है। यह मानव के विचारों और भावनाओं के आदान-प्रदान का सबसे महत्वपूर्ण वाचिक माध्यम है। 

वाचन के साथ-साथ लेखन भी भाषा का एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली माध्यम है, जो लिपि-चिह्नों का उपयोग करता है। इसके अतिरिक्त, सांकेतिक भाषा भी एक और माध्यम है। संक्षेप में, भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा मनुष्य विचारो को या भावों को बोलकर या लिखकर व्यक्त करता है।

प्लेटो ने ‘सोफिस्ट’ में विचार और भाषा के संबंध में लिखते हुए कहा कि विचार और भाषा में थोड़ा ही अंतर है। ‘‘विचार आत्मा की मूल या अध्वन्यात्मक बातचीत है, पर वही जब ध्वन्यात्मक होकर होंठों पर प्रकट होती है तो उसे भाषा की संज्ञा देते हैं।’’

प्रो. राजमणि शर्मा के अनुसार- ‘‘मानव समुदाय द्वारा उच्चरित स्वन संकेतों की वह यादृच्छिक प्रतीकात्मक व्यवस्था भाषा है, जिसके द्वारा विचारात्मक स्तर पर मानव समुदाय-विशेष परस्पर संपर्क स्थापित करता है।’’

डॉ. भोलानाथ तिवारी के अनुसार- "भाषा उच्चारण अवयवों से उच्चरित प्रायः यादृच्छिक ध्वनि-प्रतीकों की वह व्यवस्था है, जिसके द्वारा किसी भाषा समाज के लोग आपस में विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।"

भाषा के प्रकार

भाषा तीन प्रकार की होती है-
1. मौखिक भाषा।
2. लिखित भाषा।
3. सांकेतिक भाषा।

भाषा की विशेषताएं 

भाषा में निम्नलिखित विशेषता होती है-

1. भाषा प्रतीकात्मक (लेखन रूप में)  होती है।
2. भाषा ध्वनिमय हैं।
3. भाषा का सम्बन्ध मात्र मनुष्य से है।
4. भाषा मुख से उच्चरित होती है।
5. भाषा एक व्यवस्था है जो अनुकरण से आती है।
6. भाषा परिवर्वतशील हैं।
7. भाषा की क्षेत्रीय सीमा होती है।
8. भाषा सरलता एवं प्रौढता की दिशा में सतत गतिशील होती हैं।
9. भाषा अर्जित वस्तु है व प्रत्येक भाषा की संरचना अलग होती है।
10. भाषा का विकास नदी की धारा के समान अबाध गति से होता रहता हैं।

अक्षर या वर्ण : भाषा का वह छोटे से छोटा भाग जिसके ढुकडे ना हो सके। जैसे-अ, आ इ ई आदि।

शब्द: अक्षरों के योग से बनने वाले ध्वनि समूह को को शब्द कहते है। जैसे- आना . जाना, रात-दिन।

वाक्य : दो या दो से अधिक सार्थक शब्दों का ऐसा समूह जिसका कोई अर्थ हो वह वाक्य कहलाता हैं। जैसे- मैं घर पर हूँ।

लिपि : भाषा के लिखने के तरीके को लिपि कहते हैं। भाषा के उच्चरित स्वरूप को लिखने के लिए जिन चिन्हों का प्रयोग किया जाता हैं, उसे लिपि कहते है।

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